चार ट्रक ड्राइवरों ने मेरा गैंगरेप किया।


मेरा नाम रश्मी है। मैं इंदौर में एक आफिस में काम करती हूं। मेरे शिफ्ट सुबह 8 से 6 बजे की थी। एक दिन मुझे कुछ प्रोजेक्ट्स तैयार करना था‌। तो मुझे आफिस से निकलने मे देर हो गई ‌। लगभग रात के 8 बज रहे थे। जब मैं आफिस से निकली। पूरा आफिस बंद हो चुका था। मैं मेरे घर को निकल कर कुछ दूर ही आगे गई की मेरी स्कूटी पंचर हो गई। आस-पास कोई भी नहीं दिख रहा था। रास्त सूनसान था। मुझे डर भी लग रहा था। इत्तेफाक से मेरा फ़ोन भी बंद हो गया था‌। तभी मेरे पास से एक ट्रक गुजरा वो ट्रक आगे जा कर रुक गया। मैं अपनी स्कूटी ले कर पैदल चल रही थी। कि कोई पंक्चर वाली दुकान मिल जाये तो स्कूटी ठीक करवा लूं।

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जो ट्रक आगे जा कर रुका था‌। अब मैं पैदल-पैदल चलते चलते वहां तक पहुंच गई थी। जैसे ही मैं ट्रक के पास से गुजर रही थी। अचानक से ट्रक का दरवाजा खुलता है ‌ और उसमें से चार लोग बाहर निकलते हैं। वो चारों मेरे ऊपर टूट पड़ते हैं और मुझे उठा कर ट्रक के अंदर बैठा देते हैं। मैं जोर जोर से चिल्लाए जा रही थी। पर वहां मेरी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था। वो चारों मुझे कस कर पकड़ रखा था। ट्रक कुछ देर चलने के बाद एक सुनसान जगह पर रुक जाता है। अब मुझे उन लोगों ने ट्रक से नीचे उतारा। वहां मैंने देखा चारों तरफ जंगल ही जंगल था। जगह भी बहुत डरावनी लग रही थी। फिर भी मैं जोर जोर से चिल्लाए जा रही थी। उनमें से एक मेरी चुन्नी से मेरा मुंह बांध दिया। ताकि मैं चिल्ला ना पाऊं। अब वो चारों मुझे घेर कर खड़े हो गए और मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगे। मुझे बहुत डर लग रहा था। पता नहीं अब मेरे साथ क्या होने वाला है। उनमें से एक ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिया। मेरे विरोध करने पर उन्होंने मेरे हाथ बांध दिया। अब मैं कुछ नहीं कर सकती थी। पहले उन्होंने मेरा सूट उतार कर फेंका फिर मेरी सलवार में हाथ डाल फाड़ कर फेंक दिया। अब मैं उनके सामने पैंटी और ब्रा में थी‌। वो चारों मुझे देख कर पागल हो रहे थे। क्योंकि मेरा फिगर ही कुछ ऐसा था‌। मेरी चुचियों का साईज 34 था‌। मेरी चुचिया ब्रा में ऐसे लग रही थी ‌ कि वो ब्रा को फ़ाड़ कर बाहर आने के लिए जंग लड रही हो। एक ने पीछे से आ कर मेरी चुचियों को आजाद कर दिया। अब तो उन चारों के चेहरे पर एक चमक आ गई। वक्त जाया ना करते हुए उन्होंने मेरी पैंटी को भी मेरे जिस्म से जुदा कर दिया

अब मैं बिल्कुल नंगी उनके सामने खड़ी थी। अब उन चारों ने अपने कपड़े भी उतार दिए। वो चारों भी नंगें हो गए और अपने लन्ड को अपने हाथों में ले कर सहलाने लगे। चारों के लन्ड एकदम काले थे‌ और मोटे मोटे थे। एक ने आकर मेरे मुंह में अपना लन्ड घुसा दिया तो एक ने मेरी बुर में अपना लन्ड घुसा कर आगे पीछे करने लगा। तो एक ने पीछे से मोर्चा संभाला और एक मेरी चूचियों को दबाने लगा। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। मैं चिल्ला भी नहीं पा रही थी क्योंकि एक लन्ड लगातार मेरे मुंह में अंदर-बाहर हो रहा था। वो मेरे मुंह को चोद रहा था। पीछे वाला का जुगाड अभी नहीं बन पा रहा था‌। उसका लन्ड बहुत मोटा था और मेरी गान्ड का सुराख बहुत छोटा था। इसलिए बहुत कोशिश के बाद भी वो मेरी गान्ड नहीं मार पा रहा था। जिसने मुझे अपने लन्ड पर बैठाया था वो लगातार धक्के मार रहा था। उसको बहुत मजा आ रहा था। तभी जो आदमी मेरी चुचियों को दबा रहा था उसने बोला तू हट मुझे पता ऐसी गान्ड कैसे मारी जाती है।

उसनेे अपने लन्ड पर थोड़ा सा थूक लगाया और एक हाथ से मेरे गान्ड के छेद को फैलाया और दूसरे हाथ से अपना लन्ड हाथ में पकड़ कर गान्ड के छेद के ऊपर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया और उसका पूरा लौड़ा मेरी गान्ड को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया। मुझे इतना दर्द हो रहा था कि मैं बता नहीं सकती। मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे। अब वो गाडं को चोदने लगा। और दूसरा मेरे बुर को भोसड़ा बनने में लगा हुआ था। मेरी गान्ड को चोद चोद कर कर उसने खुल्ला कर दिया था कि अब किसी का भी लन्ड आसानी से मेरी गान्ड में जा सकता है। अब चारों ने एक एक करके मेरी गान्ड मारी मुझे बहुत दर्द हो रहा था। अब जो होने वाला था वो और भी ज्यादा दर्द देने वाला था‌। उन्होंने मेरी गान्ड का छेद इतना बड़ा कर दिया था कि अब दो लोग एक साथ मेरी गान्ड में अपना लन्ड डालने लगे। पर यह काम इतना आसान नहीं था। पर वो चारों भी हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने मेरी गान्ड में हाथ डाल कर गाड़ को खोल कर अपना लन्ड घुसा दिया। अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने मेरी गान्ड में लोहे की रॉड डाल दी है। उन चारों ने बारी बारी मेरी गान्ड और बुर दोनों की तसल्ली से चुदाई की।

उसके बाद अपना पानी मेरे मुंह मे पर निकाल दिया। उनके वीर्य से मेरा मुंह भर गया था। अब वो चारों वहां से चले गए। मैं घंटों उसी हालत में वहां पड़ी रही। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी की उठ कर खड़ी भी हो सकूं। सुबह मैं किसी तरह अपने फटे हुए कपड़ों सहित घर पहुंची। आज भी वह रात याद करके मेरी रुह कांप जाती है।

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